साहित्य

सपनों का संसार

कुलदीप सिंह रुहेला

लेख और कविता –दी ग्राम टुडे पत्रिका
प्रकाशित – दी ग्राम टुडे पत्रिका

प्रस्तावना:

“दी ग्राम टुडे” पत्रिका सदैव गांव, समाज और संस्कृति की सच्ची आवाज़ रही है।
इसी प्रेरणा से यह कविता “सपनों का संसार” समर्पित है —
उन सपनों को, जो हर दिल में पलते हैं,
जो हमें बेहतर बनने की राह दिखाते हैं।

कविता – सपनों का संसार
दी ग्राम टुडे पत्रिका।

#सपनों का भी एक संसार होता है,
जहाँ हर उम्मीद का आकार होता है।
दीवारें नहीं, बस उड़ानें होती हैं,
इनमें दिल की अनगिनत कहानियाँ होती हैं।

कभी हँसी में ढले, कभी आँसू में खो जाएँ,
कभी आसमान छू लें, कभी मिट्टी हो जाएँ।
पर “दी ग्राम टुडे” सिखाता है हमें यही,
कि सपनों से ही शुरू होती हर सही राह नई।

कभी गाँव के बच्चे के मन में उमंग जगाए,
कभी किसान के माथे से पसीना मिटाए।
हर दिल में जगाए नई आस का दिया,
“दी ग्राम टुडे” ने सपनों को सच किया।

जो सोचे, वही करे, यही संदेश हमारा,
सपनों को बनाओ जीवन का सहारा।
क्योंकि जो जगते हैं अपने विचारों के साथ,
वही पाते हैं दुनिया में अपनी पहचान और बात।

पत्रिका के संचालन पर विचार:

सपने सिर्फ़ नींद में आने वाली तस्वीरें नहीं,
बल्कि जागते हुए देखी गई उम्मीदें हैं।
और “दी ग्राम टुडे” जैसी पत्रिकाएँ
इन सपनों को आवाज़ देती हैं, दिशा देती हैं —
ताकि हर गाँव, हर दिल, हर भारतवासी
अपने “सपनों का संसार” साकार कर सके।

कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश
मौलिक अप्रकाशित रचना

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