
#शब्दों की नगरी का वो राही,
मन का सच्चा कवि कहलाए,
कलम उठे तो भाव जगें,
हर दिल में दीप जलाए।
कक्षा में जब खड़े हों गुरु बन,
ज्ञान की गंगा बहती है,
हर शिष्य के मन में उगती,
नई दिशा, नई व्याख्या रहती है।
लेखनी उनकी जैसे सरिता,
स्नेह और सत्य से भरी,
हर अक्षर में झलके ममता,
हर पंक्ति में चमके लहर धरी।
विचारों की खेती करते हैं,
मन के खेत में हर रोज़,
कविता में जीवन गढ़ते हैं,
जैसे हो कोई साधक रोज़।
संस्कार, शालीनता, विनम्रता
ये तीनों हैं उनके गहने,
जहाँ भी जाएँ मुस्कुराकर,
बन जाएँ सबके अपने।
कवि भी हैं, शिक्षक भी हैं,
और इंसान भी अनमोल,
सुनील खुराना नाम जहाँ,
वहीं छू ले हर दिल का गोल।
कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश
मौलिक अप्रकाशित रचना




