
दिन ढलता है तेरे बिना,
रातें तन्हा गुजर जाती हैं,
तेरी तस्वीर से बातें करके
आँखें खुद ही भर जाती हैं।
हर आहट में तू लगता है,
हर साया तेरा लगता है,
साँसों की लय में बसा है
फिर भी दूर सा लगता है।
वक्त भी थम-सा जाता है,
तेरे आने के इंतज़ार में,
धड़कनें भी सुनाई देती हैं,
तेरे नाम के पुकार में।
अब ये जिंदगी तेरे
बिना अधूरी लगती है,
हर खुशी तेरे बिना,
बस एक मजबूरी लगती है।
पूनम त्रिपाठी
गोरखपुर



