
त्यौहारों का अपना महत्व और अंदाज
होता था,
तब हर दिल पर त्यौहारों का ही राज
होता था,
हर त्यौहार की रौनक और तैयारी कई
दिन पहले शुरू होती थी,
भाई, बहन, ताई, चाची, पड़ोसन सब
त्यौहार की सहयोगी होती थी,
उस समय त्यौहारों का आनंद अपार
कम खर्चा होता था,
हर तरफ आपसी प्रेम,सहयोग और
त्यौहार का चर्चा होता था,
दीपावली का त्यौहार साथ और उत्साह
से मनाते थे,
अपनी ही नहीं ,परिवार और पड़ोस के साथ भी हसतें और दीप जलाते थे ।
अब बदलाव के साथ सबकुछ ही बदल
रहा है,
दुखद ,सगे भाई-बहनों का भी आजकल
मुकदमा चल रहा है।
प्रिया गुप्ता
दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल)




