साहित्य

वृंदावन धाम

मुकेश कुमार दीक्षित

वसा हुआ यमुना के तट पर
है वृंदावन धाम,
नगरी मोहन की कहलाती
बड़ा ही इसका नाम।
रूप लिया है अद्भुत सुंदर
मुरलीधर बनवारी,
मोहित होते सब नर नारी
देख बांकेबिहारी।
लगे ललाम कुंज की गालियाँ
शोभा न्यारी न्यारी,
गली गली में श्याम विराजें
यों वे लगती प्यारी।
संत समाज वसे इस तट पर
बैठ- बैठ कर तपते,
प्रेमानंद परम बाबाजी
राधा राधा जपते।
दर्शन करने को गिरधर के
भीड़ यहाँ पर आती,
पुण्य कर्म कर कर के अपना
जीवन सफल बनाती।
एक बार वृंदावन आकर
माधव माधव गाओ,
छवि देख मेरे कान्हा की
भव से मुक्ति पाओ।

मुकेश कुमार दीक्षित, चंदौसी
मो ०-8433013409

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