साहित्य

यमद्वितीया

डा राजेश तिवारी मक्खन

जैसे यम यमुना गृह आये । वैसे ही तुम आना ।
भैया मेरे भाई दोज मनाना।।

यम और यमुना भाई बहिन दोऊ प्रेम बहुत सारी ।
भाई मेरे घर पर आकर भोजन करो करी तैयारी ।।
न करो तुम कोई भी बहाना ।।

यम को आया देख कालिंदी बहन हुई प्रसन्न भारी ।
दिया भोजन स्वादिष्ट भाई की कीन्ही खातिरदारी ।।
अति स्नेह ऐसा कहे जमाना ।।

भाई बहिन जो यमुना जल में पर्व स्नान करें आई ।
यम यातना अभी न भुगते वह यमदण्ड मुक्ति पाई ।।
यम मांगती बहन ये वरदाना ।।

मक्खन मां कालिन्दी मेरी है पिता कृष्ण कन्हाई ।
मामा धर्मराज कहते यहां सब जीव बहिन भाई ।।
जगत का छूटे जो आना जाना।।

डा राजेश तिवारी मक्खन
झांसी उ प्र

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