
जैसे यम यमुना गृह आये । वैसे ही तुम आना ।
भैया मेरे भाई दोज मनाना।।
यम और यमुना भाई बहिन दोऊ प्रेम बहुत सारी ।
भाई मेरे घर पर आकर भोजन करो करी तैयारी ।।
न करो तुम कोई भी बहाना ।।
यम को आया देख कालिंदी बहन हुई प्रसन्न भारी ।
दिया भोजन स्वादिष्ट भाई की कीन्ही खातिरदारी ।।
अति स्नेह ऐसा कहे जमाना ।।
भाई बहिन जो यमुना जल में पर्व स्नान करें आई ।
यम यातना अभी न भुगते वह यमदण्ड मुक्ति पाई ।।
यम मांगती बहन ये वरदाना ।।
मक्खन मां कालिन्दी मेरी है पिता कृष्ण कन्हाई ।
मामा धर्मराज कहते यहां सब जीव बहिन भाई ।।
जगत का छूटे जो आना जाना।।
डा राजेश तिवारी मक्खन
झांसी उ प्र




