आलेख

आचार्य कुल की अवधारणा एवं पत्रकारों के लिए पत्रकारिता प्रकोष्ठ का आज के परिवेश में महत्व

कुमुद रंजन सिंह

भूमिका
भारतीय सभ्यता में “आचार्य” का स्थान गुरु और पथप्रदर्शक के रूप में सर्वोच्च माना गया है। “कुल” अर्थात परिवार, जो समान मूल्यों और आदर्शों से जुड़ा हो। इस प्रकार “आचार्य कुल” किसी संगठन या संस्था का नाम मात्र नहीं, बल्कि एक नैतिक, वैचारिक और आध्यात्मिक आंदोलन है—जिसका उद्देश्य है व्यक्ति और समाज में सत्य, सेवा और समरसता की चेतना जागृत करना।

आज जब समाज और मीडिया दोनों ही दिशा भ्रम के दौर से गुजर रहे हैं, तब आचार्य कुल की अवधारणा हमें यह याद दिलाती है कि सच्ची प्रगति केवल तकनीक या शक्ति से नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों और सच्चे संवाद से होती है।

आचार्य कुल की मूल अवधारणा
आचार्य कुल उस परंपरा का प्रतीक है जो गुरु-शिष्य संबंध, नैतिक शिक्षा, और सर्वोदय के आदर्श पर आधारित है।
यह विचार आचार्य विनोबा भावे के दर्शन से गहराई से जुड़ा है। भावे जी ने कहा था —

“विचारों की पवित्रता ही समाज में परिवर्तन की सबसे बड़ी शक्ति है।”

इस दृष्टि से, आचार्य कुल केवल शिक्षा या सेवा का केंद्र नहीं, बल्कि ऐसा परिवार है जहाँ हर व्यक्ति में “आचार्यत्व” — यानी स्वयं को सही दिशा में मार्गदर्शन देने की क्षमता — विकसित की जाती है।

पत्रकारिता प्रकोष्ठ का आज के परिवेश में महत्व
आधुनिक समाज में पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती है। परंतु जब इस स्तंभ पर स्वार्थ, भय या राजनीतिक प्रभाव का बोझ बढ़ने लगता है, तब उसका आधार कमजोर पड़ जाता है।
ऐसे में “आचार्य कुल पत्रकारिता प्रकोष्ठ” की स्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।

यह प्रकोष्ठ पत्रकारों को न केवल पेशेवर दृष्टि से सशक्त करता है, बल्कि नैतिक पत्रकारिता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को भी पुनः स्थापित करता है।

इसके प्रमुख उद्देश्य हैं —
पत्रकारों में सत्य, निष्पक्षता और मानवता आधारित कार्य संस्कृति का विकास।
जनसरोकारों, ग्रामीण विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय जैसे विषयों को प्राथमिकता देना।
पत्रकारों को मूल्य-आधारित संवादक बनाना, जो समाज को विभाजित नहीं, जोड़ने का कार्य करें।
मीडिया को सेवा, सहयोग और सुधार के साधन के रूप में स्थापित करना।
मेरा मानना है कि —

“पत्रकारिता केवल सूचना देने का कार्य नहीं, बल्कि समाज की चेतना को जगाने का माध्यम है। आचार्य कुल का पत्रकारिता प्रकोष्ठ पत्रकारों को वैचारिक रूप से शुद्ध, सामाजिक रूप से उत्तरदायी और मानवीय दृष्टि से संवेदनशील बनाता है।”

उनका विचार है कि जिस प्रकार आचार्य कुल आत्मा का शुद्धिकरण करता है, उसी प्रकार पत्रकारिता प्रकोष्ठ समाज की वाणी का शुद्धिकरण करेगा। जब पत्रकार अपनी कलम से सत्य का संधान करेंगे, तभी समाज में न्याय और जागरूकता की नींव मजबूत होगी।

विनोबा भावे के विचारों में पत्रकारिता का नैतिक दर्शन
आचार्य विनोबा भावे ने कहा था —

“सत्य का प्रचार शब्दों से नहीं, आचरण से होता है।”

यह वाक्य आज की पत्रकारिता पर सीधे लागू होता है। जब पत्रकार अपने लेखन, प्रश्न और रिपोर्टिंग में सत्य के प्रति समर्पित रहते हैं, तभी वे आचार्य कुल की भावना के सच्चे वाहक बनते हैं।

विनोबा जी की सर्वोदय विचारधारा पत्रकारिता के लिए एक नैतिक दिशा देती है — कि संवाद, आलोचना या अभियान — सबका उद्देश्य विवाद नहीं, विकास होना चाहिए।

नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन (NJA) के पत्रकारों का योगदान
नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन (NJA) के पत्रकार वर्तमान समय में आचार्य कुल के विचारों और लक्ष्यों को जन-जन तक पहुँचाने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
उनके प्रमुख योगदान निम्न प्रकार हैं —

सत्य एवं समाजोन्मुख पत्रकारिता को प्रोत्साहन:
NJA के पत्रकार लगातार जनहित, सामाजिक न्याय और पारदर्शिता पर आधारित रिपोर्टिंग कर रहे हैं, जिससे आचार्य कुल की “सत्य और सेवा” की भावना प्रसारित हो रही है।

जनजागरण अभियानों में सहभागिता:
विभिन्न सामाजिक अभियानों, शिक्षा एवं ग्रामोदय कार्यक्रमों में NJA के पत्रकार अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

आचार्य कुल की गतिविधियों का प्रचार-प्रसार:
लेख, संवाद, वीडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से आचार्य कुल के कार्यक्रमों को व्यापक जनमानस तक पहुँचाया जा रहा है।

युवा पत्रकारों में नैतिकता का प्रशिक्षण:
NJA के वरिष्ठ पत्रकार युवा पत्रकारों को आचार्य कुल की विचारधारा के अनुरूप पत्रकारिता का प्रशिक्षण दे रहे हैं — ताकि मीडिया समाज के निर्माण में सहायक बने, न कि विभाजन का साधन।

सारांश:
“आचार्य कुल” और “पत्रकारिता प्रकोष्ठ” केवल संगठनात्मक ढाँचे नहीं, बल्कि नैतिक पुनर्जागरण के प्रतीक हैं।
मेरे और आचार्य विनोबा भावे के विचार हमें यह सिखाते हैं कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए केवल विचार नहीं, बल्कि आचरण आवश्यक है।

नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के पत्रकार जब अपने लेखन और संवाद में इन मूल्यों को उतारते हैं, तब वे न केवल पत्रकारिता करते हैं — बल्कि आचार्य कुल की जीवंत परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।

“जहाँ सत्य ही लक्ष्य हो, सेवा ही साधन हो और समाज ही साध्य — वही आचार्य कुल का मार्ग है, वही सच्ची पत्रकारिता की पहचान है।”

✍️: कुमुद रंजन सिंह, राष्ट्रीय संयोजक, आचार्य कुल पत्रकारिता प्रकोष्ठ

एवं नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के संस्थापक

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