
आदमी ख़ुद चला सादगी के बिना
फ़िर जुदा जो हुआ आशिक़ी के बिना।।//१//
जिन्दगी में कभी रौशनी है नहीं
हौंसला रख जमी चासनी के बिना।।//२//
दौर है आजकल रौशनी का यहां
जिन्दगी हल नहीं रौशनी के बिना।।//३//
फूल मुरझा गए याद में जल गये
हम नहीं रह रहे मात पी के बिना।।//४//
इश्क़ हम भी करे तुम करो खुश रहो
जिन्दगी में कुछ नहीं हमनशी के बिना।।//५//
मत करो तुम कभी भी बुरा जिन्दगी
जिन्दगी हल नहीं दिलकशी के बिना।।//६//
कोई पीता नही है दूसरों के लिए
जीता है वह सदा आशिक़ी के बिना।।//७//
कनक




