
यह देव दिवाली आई
गंगा तट आएँ माँ
तन मन को पावन करके
हम दीप जलाएँ माँ
यह…..
हल्दी और कुमकुम से माँ
स्वास्तिक बनाते हैं
विष्णु की उपासना करके
हम देव मनाते हैं
इस पावन पर्व पै नारायण की
कथा कराएँ माँ
तन….
माँ रोली कलावा लेकर
हम बाती बनाते हैं
फिर दीपदान उत्सव कर
हम पुण्य बढ़ाते हैं
अब देव हमारे जागे
हम आरती गाएँ माँ
तन…
तू कलुषनाशिनी है माँ
सबका दुख बरती है
तुझमें स्नान करें तो
तन पावन करती है
तेरा मन से ध्यान करें तो
तू मोक्ष दिलाए माँ
तन……..
आशा बिसारिया चंदौसी




