आतंक के विरुद्ध कवियुद्ध काव्यगोष्ठी में गूंजे आक्रोश के स्वर
आतंक के आकाओं को करारा जवाब मिलेगा - कल्पकथा परिवार

प्रभु श्री राधा गोपीनाथ जी महाराज की कृपा से संचालित, राष्ट्र प्रथम, हिन्दी भाषा, सनातन संस्कृति, एवं सद साहित्य हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि संस्था की २२३वीं साप्ताहिक ऑनलाइन काव्यगोष्ठी में दिल्ली लाल किला के पास बीते दिनों हुए कार बम विस्फोट के कायराना आतंकी हमले जनमानस के आक्रोश के स्वर।

भास्कर सिंह माणिक के मंच संचालन में आयोजित ऑनलाइन काव्यगोष्ठी में कवियों ने काव्य रचनाओं को बंदूक बना आतंकवादियों और उनके सहयोगियों पर शब्दों की गोलियों की वर्षा की।
कार्यक्रम का शुभारंभ विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा संगीतमय गुरु वंदना, गणेश वंदना, सरस्वती वंदना के साथ हुआ जिसमें
देश विदेश से जुड़े सृजनकारों ने सुरक्षा बलों की सजगता और तत्परता की सराहना की।
जबलपुर मप्र की विद्वान साहित्यकार ज्योति प्यासी ने आयोजन के मूल भाव आतंकी घटनाओं में असमय काल के गाल में समाने वाले निर्दोषों के बलिदान पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि अब ऐसी कोई भी घटना स्वीकार्य नहीं हो सकती।
मुख्य अतिथि रमेश चंद्रा गौतम ने सुरक्षा बलों के समर्पण का अभिनंदन करते हुए कहा दिल्ली में हुआ यह हमला दुखद है, स्वीकार्य नहीं है फिर भी हमारे सजग प्रहरियों की कर्तव्य निष्ठा है कि संभावित ३२ स्थलों पर कार विस्फोट हमलों को अंजाम तक पहुंचने से पहले ही रोक लिया गया।
काव्य अभिव्यक्ति के समर में रचनाओं की कमान से भावनाओं के तीर छोड़ने वाले काव्य वीरों में नंदकिशोर बहुखंडी, डॉ श्याम बिहारी मिश्र, आनंदी नौटियाल अमृता, प्रमोद पटले, सूरीनाम से सांद्रा लुटावन गणेश, डॉ मंजू शकुन खरे, विजय डांगे, रमेश चंद्रा गौतम, ज्योति प्यासी, भास्कर सिंह माणिक, दीदी राधा श्री शर्मा, पवनेश मिश्र इत्यादि सम्मिलित रहे।
आमंत्रित अतिथियों, सहभागी साहित्यकारों, एवं दर्शकों का आभार प्रकट करते हुए कल्पकथा संस्थापक दीदी राधा श्री शर्मा ने कहा कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार दिवंगतों और घायलों के परिवारों के साथ दुख में सहभागी है। यह हमला भी असफल होना चाहिए था यह पूरी तरह निंदनीय है लेकिन हमें विश्वास है कि हमारी सेना और सुरक्षा एजेंसियां यह दुस्साहस करने वालों को पाताल से भी ढूंढकर सजा देंगी। उनके आकाओं को करारा जवाब मिलेगा ऐसा करारा जवाब कि अगली बार ऐसा कोई दुस्साहस करने के पहले वह हजार बार सोचेंगे एवं अपना अंजाम सोचकर दुस्साहस का विचार भी छोड़ देंगें।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्र गीत वन्दे मातरम् के स्वरबद्ध गायन के पश्चात सर्वे भवन्तु सुखिन: शान्ति पाठ के साथ विश्राम दिया गया।




