
देव दुंदुभी बजी लोक में,आया है शुभ काल।
धरती उतरे हैं देव सभी,सजे आरती थाल।।
लाखों दीप जले स्वागत में,जगमग लहरे घाट।
देव करें अभिषेक गंग में,अति पुनीत नद पाट।।
प्रमुदित नागर अति हुये सभी,गायें मंगल गान।
मानो धरती पर उतरा हो,तारा मंडल आन।।
देव चकित मन अति मुदित हुये,काशी सुषमा देख।
बाबा भोले की है नगरी,गढ़े भाग्य के लेख।।
“देव दीवाली की अशेष शुभकामनायें”
(रचना सरसी छन्द में निबद्ध)
दिनेश दत्त पाठक




