साहित्य

“अनुरश्मि” पुस्तक समीक्षा

समीक्षक:डॉ.पुष्पा सिंह लेखक:डॉक्टर रावेंद्र कुमार श्रीवास्तव

पिछले माह मुझे मेरी एक सखी ने अपने पतिदेव द्वारा रचित “अनुरश्मि” नामक एकल काव्य संग्रह मुझको दिया जिसका कवर पृष्ट अति खूबसूरत है,और कुल एक सौ पैंतिस पृष्ठ की यह पुस्तक जिसमें ‘एक सौ दो’ कविताएं संग्रहित हैं।
कवि डॉक्टर रावेंद्र कुमार श्रीवास्तव जी जो की भारतीय स्टेट बैंक से सेवनिवृत्त बैंक के अधिकारी हैं,और सेवानिवृत्ति के बाद पठन-पाठन लेखन सामाजिक सेवा वृक्षारोपण आदि में रुचि रखते हैं।
कवि रावेंद्र कुमार श्रीवास्तव जी अपने संग्रह की रचनाओं में अपनी मन: स्थिति परिवेश सामाजिक सरोकार और परिस्थिति जन्य भावों से पूर्णत: प्रभावित चित्रण किया है। प्रस्तुत संग्रह को पढ़ते समय मुझे यह महसूस हुआ कि इसमें शब्द चित्रों के माध्यम से भावनात्मक विचारों का अद्भुत संगम है जिसका अनुभव आत्मचिंतन व अनुभूति करने को विवश करने में सक्षम है।
कवि ने हास्य में भी रुचि दर्शीया है “प्लस” और “गजब करते हो” जैसी रचनाएँ इसी की प्रतीक हैं। प्लस में कवि यह कहकर हंसाता है कि:
मैंने अपनी गाड़ी पर
किक मारी जब चार
पत्नी मेरी कड़क के बोली
हो करके बाजार
बेच खटारा क्यों नहीं लाते
अब स्प्लेंडर प्लस।

गजब करते हो कविता में कवि ने कहा है:
कैसे इश्क के मुंतज़िर हो
हाले दिल बयां करने से डरते हो।
डॉक्टर साहब ने सामाजिक परिवेश व्यक्तिगत संबंधों से प्रभावित होकर अपनी भार्या,एवं भाई, माँ एवं अन्य रिश्तों से बंधी भावनाओं का जिक्र भावों को शब्दों में पिरोकर कविता का रूप दिया है जो काव्य संग्रह में पढ़कर पाठकों के मानस पटल पर प्रभाव अंकित करता है।
यह “अनुरश्मि” संग्रह रचनाकार डॉक्टर रावेंद्र कुमार श्रीवास्तव जी की रचनाएं गंभीर और चिंतनशील पाठकों के लिए अनमोल निधियां के समान हैं।संग्रह की रचनाएं पाठकों को चिंतन मनन करने को प्रेरित करती हैं। रचनाएं स्वयं में झांकने के लिए विवश करती हैं।कई रचनाएं कई बार पढ़ने को बाध्य करती हैं जो की कवि की बौद्धिकता दर्शाती है।
समीक्षात्मक टिप्पणी में गुण के साथ कमियों को भी देखा जाता है इस दृष्टि से यह काव्य संग्रह अपनी भावनाएं उड़ेलने में पूर्ण रूप से खरी उतरी है।
काव्य संग्रह की अधिकतर कविताएं रचयता के इर्द-गिर्द की अनुभूतियाँ हैं “जीवन पथ” “वक्त से पहले” “आईना” “मेरे हमसफर” “हसरतें “”लम्हे” “संवेदनाएं” आदि कविताएं इसे प्रमाणित करती हैं।
संग्रह में सभी कविताएं छंद मुक्त शैली में लिखी गई है जो पाठकों को सहज ही प्रभावित करेंगी,सरल भाषा शैली,भाव समृद्धि और दृष्टिकोण के साथ शब्द संयोजन का बेहतर उपयोग दर्शाती हैं।
यह काव्य संग्रह निश्चित रूप से संग्रहणीय है।कवि को प्रस्तुत संग्रह की सफलता और उनके निकट भविष्य में अगले संग्रह प्रकाशन की असीम बधाइयां।
मेरी शुभेच्छा इस काव्य संग्रह तथा कवि के साथ है।
डॉ.पुष्पा सिंह

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!