अपने भावों को सुंदर शब्दों का लिबास पहनाएं : पूजा अग्रवाल
उड़िया कवयित्री शुभाश्री जानकी के सम्मान में काव्य गोष्ठी आयोजित

जोधपुर। जब अंदर की बेचैनी बाहर आने के लिए विवश हो जाती है तब कविता का जन्म होता है। कवि को चाहिए कि वह अपने भावों को सुन्दर शब्दों का लिबास पहनाकर समाज के सामने रखें ताकि सुन्दर समाज का निर्माण हो। यही प्रत्येक कवि का सामाजिक दायित्व है। उपरोक्त उद्गार कवयित्री पूजा अग्रवाल ने रविवार को मदन सावित्री डागा साहित्य भवन में उड़िया कवयित्री शुभाश्री जानकी के सम्मान में आयोजित काव्य गोष्ठी में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में “जीवन एक रंग मंच” कविता के माध्यम से पेश किए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री डॉ. सुमन बिस्सा ने कहा कि कविता चाहे छंदमुक्त हो या छंदबद्ध, जो कविता मनुष्यता की बात करे वहीं कविता है। विशेष अतिथि कवयित्री दीपा टाक ने कई हास्य कविताएं पेश की। जबकि देश के नामचीन गीतकार दिनेश सिन्दल ने मैं तूफानों से अपना रिश्ता यूं भी जोड़ देता हूं, तेरी चाहत के दरिया में मैं कश्ती छोड़ देता हूं सुनाकर खूब दाद लूटी।
काव्य गोष्ठी में उदीयमान कवि कल्याण के. विश्नोई ने मैं जानता हूँ जीवन के रण को, शायरा डॉ. संजीदा खानम शाहीन ने जिसकी गलती है डाल दिल्ली में, लूट लेता है माल दिल्ली में, युवा कवि दीपक परिहार ने ये अश्कों की अमर धारा सदा नयनों में बहती है ग़ज़ल पेश की। इस बीच उड़ीसा से आई मेहमान कवयित्री शुभाश्री जानकी ने “हरदम तेरा करती हूं ध्यान जाने तू कब जानेगा” आध्यात्मिक रचना प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवयित्री डॉ. रजनी अग्रवाल, वीना अचतानी, नीलम व्यास स्वयंसिद्धा, वरिष्ठ कवि नरसिंह सोलंकी, डॉ. हस्तीमल आर्य, युवा कवयित्री सुरभि खींची, अमिता भंडारी, दिलीप पुरोहित, पंडित तरुण जोशी, मनशाह “नायक” तथा बाल कवि मो. आतिफ खान ने रचनाएं पढ़ी।
कार्यक्रम कवयित्री राखी पुरोहित की सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर डॉ. मनीषा डागा, जे के माहेश्वरी, राजेंद्र शाह सिरोही, हंसराज बारासा, साजित अली, चंचल चौधरी, गौतम के गट्स, सुनील परमार, करुणा माहेश्वरी, स्वामी गोपालानंद महाराज आदि गणमान्य श्रोता मौजूद थे।
कार्यक्रम का सफल संचालन शायरा डॉ. संजीदा खानम शाहीन ने किया।


