
तेरी शादी का दिन आया है,
पर आया नहीं हूँ मैं बिटिया…
सलाखों ने बाँध रखा है मुझे,
लुटा देता तुझ पर मैं जिया।
मैंने सोचा था डोली के संग,
तेरे संग-संग चल सकूंगा मैं…
पर किस्मत ने इतनी दूर कर दिया,
आँसू भी तेरे न छू सकूँगा मैं…
*दिनेश पाल सिंह दिलकश*
*चन्दौसी जनपद संभल*




