साहित्य

बाल दिवस

मुकेश कुमार दीक्षित 'शिवांश'

पर्व निराला बाल दिवस का
बच्चों का है आया,
जग की सारी खुशियों को यह
साथ साथ है लाया।
नन्हे मुन्नों का उत्सव है
सुंदर प्यारा प्यारा,
धूमधाम से इसे मनाते
लगता सबको न्यारा।
रक्षा और सम्मान बाल का
खूब याद है आता,
पर इसी दिवस हम सबको यह
उमड़ प्यार क्यों आता।
बाल रूप में वास ईश का
इसको तो सब जानो,
देखरेख अरू उचित पढ़ाई
देने की तुम ठानो।
बच्चे तो बच्चे होते हैं
मेरे अरु तुम्हारे,
समदृष्टि से देखो इनको
लगते कितने प्यारे।
पढ़ा लिखा अरु निपुण बनाकर
आगे इन्हे बढ़ाओ,
साथ साथ में तुम भी इनके
ढेरों खुशियाँ पाओ।

मुकेश कुमार दीक्षित ‘शिवांश’
चंदोसी, संभल, उत्तर प्रदेश
मो ०-8433013409

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