साहित्य

बाल दिवस — नन्हे सपनों का उजला भविष्य

योगेश गहतोड़ी "यश"

पद 1
बचपन नन्ही-सी कली है, हँसी जैसी मधुमास,
मन जैसे निर्मल झरना, सपनों का उजला आकाश।
कोमल पंखों-सा जीवन, खुशियों की हो बयार,
बचपन प्यारा एहसास है, जिसमें बसता प्यार।

पद 2
मासूम नज़रें चमकें जैसे सुबह की पहली किरण,
होंठों पर हल्की मुस्कान, मन में नया अरमान।
नन्हीं कोशिश में ही दिखती हिम्मत और उड़ान,
रंगों से जब दुनिया सजती, जैसे नया हो जहान।

पद 3
अक्षरों में जब अर्थ खिलें, मन में ज्ञान उग आए,
गुरु ने जो दीप जलाया, वह जीवन भर जगमगाए।
अनुशासन और मेहनत से जब चलता है इंसान,
छोटा सा बीज बन जाता है, एक वटवृक्ष समान।

पद 4
चाचा नेहरू कहते थे — बच्चों में भविष्य छिपा,
सपनों में ताक़त रखना, सच्चाई का दीप जगा।
ईमानदारी, प्रेम, परिश्रम — जीवन की पहचान,
इनसे ही सुंदर बनता है, भारत का हर इंसान।

पद 5
खेलों में जब दौड़ लगाएँ, दिल में जोश हो भारी,
हँसी-ठिठोली, शरारत और बातें बनें न्यारी।
दोस्ती का प्यारा बंधन, जीवन का पहला पाठ,
इन यादों की मिठास जो, उम्र भर रहती साथ।

पद 6
हर बच्चा एक सपना है, जो साकार हो सकता,
उसके अंतर्मन में छिपा, विश्वास भी बोल सकता।
बच्चे हैं ईश्वर की रचना, स्नेह और उजियाला,
उनकी आँखों में दिखता भविष्य का मतवाला।

पद
बस मिले अवसर और प्रेम, तो बदल दे संसार,
सीख और समझ के संग, बढ़े उसका विचार।
उसकी मुस्कान में ईश्वर, उसकी धड़कन में प्रकाश,
हर बच्चा एक दीप है, जो कर दे अंधेरे का नाश।

पद 8
कला, विज्ञान और मूल्य, इनसे जीवन बने महान,
प्रयोगों में रोशनी, शोध में भविष्य की उड़ान।
नई तकनीक और संस्कृति के संग लिखे पहचान,
उसका हर कदम कहे, मेरा भारत होगा महान।

पद 9
घर-आँगन में कोलाहल, बच्चों की भाषा प्यारी,
उनकी बातों में मिठास, जैसे हो शक्कर भारी।
उनके आने से जीवन में, खिलता नया बहार,
हर बच्चा सच्चा वरदान, अमृत-सा उपहार।

पद 10
ईश्वर की कृपा तुम पर हो, जीवन सदा मंगलमय,
हर सपना सच बन जाए, हर पल हो मधुर-सुखमय।
कमल-सा खिलना जीवन में, हीरे-सा हो नित श्रृंगार,
रोशनी भर देना जग में — यही है दिल की पुकार।

✍️ योगेश गहतोड़ी “यश”

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