बिहार

बच्चों के निर्माण में बाल साहित्य सृजन एक प्रभावकारी माध्यम : सिद्धेश्वर

पटना। बाल साहित्य का मुख्य उद्देश्य बच्चों में मानसिक विकास, कल्पनाशीलता, संवेदनशीलता और मूल्यबोध का निर्माण करना है। सही मायने में वही बाल साहित्य सार्थक है जो मनोरंजन के साथ ज्ञान, विवेक और स्वस्थ चिंतन का बीजारोपण करे। आज का बच्चा चाँद–तारों को केवल सुंदर वस्तु के रूप में नहीं, बल्कि विज्ञान की उपलब्धि के रूप में देखता है; प्रकृति को वैज्ञानिक तथ्यों और पर्यावरणीय चेतना से जोड़कर समझता है; तथा परिवार और समाज में होने वाली गतिविधियों को गहराई से महसूस करता है। नई पीढ़ी प्रगतिशील सोच और तार्किक दृष्टि के साथ दुनिया को देखना सीख रही है।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में गूगल मीट के माध्यम से एवं फेसबुक पेज ‘अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका’ पर आयोजित ‘हेलो फेसबुक बाल साहित्य सम्मेलन’ का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य सम्मेलन में प्रस्तुत बाल कविताएँ और कहानियाँ बच्चों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं और उन्हें जीवन मूल्यों एवं नैतिकता के प्रति संवेदनशील बनाती हैं।
अवसर साहित्य पाठशाला द्वारा आयोजित बाल साहित्य सप्ताह एवं बाल साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए चर्चित लेखिका सुधा पांडेय ने कहा कि बाल साहित्य बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो उन्हें जीवन के अनेक पहलुओं से परिचित कराता है और व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।
उन्होंने कहा — “बाल कविता लिखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। बच्चों के लिए लिखने के लिए पहले स्वयं बच्चे जैसा सरल, संवेदनशील और निष्कपट बनना पड़ता है। आज प्रस्तुत अधिकांश बाल कविताएँ बच्चों की मानसिक ऊर्जा बढ़ाने में सक्षम प्रतीत हुईं।”

सिद्धेश्वर ने रचनाकारों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जो भी लेखक बाल साहित्य का अध्ययन करते हैं, वे निश्चित रूप से उत्कृष्ट बाल साहित्य का सृजन कर सकते हैं। आज की संगोष्ठी में अनेक रचनाकारों ने नई और मौलिक बाल रचनाएँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में सिद्धेश्वर ने अपनी एक बाल कहानी और कुछ बाल कविताओं का भी पाठ किया, जिन पर अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए सुधा पांडेय ने महत्वपूर्ण सुझाव एवं मार्गदर्शन दिया।

ऑनलाइन सम्मेलन में बाल कविता एवं बाल कहानी प्रस्तुत करने वाले रचनाकार हैँ-”
नंदकुमार मिश्रा, ऋचा वर्मा, सुधा पांडेय, सिद्धेश्वर, सुषमा सिन्हा और राज प्रिया रानी।
बाल साहित्य सप्ताह में ‘अवसर साहित्य यात्रा’ पेज पर जिन रचनाकारों की सहभागिता रही, वे थे—
विज्ञान व्रत, गोविंद भारद्वाज, घनश्याम कालजयी, सिद्धेश्वर, अनीता रश्मि, ज्ञानदेव मुकेश, सुनीता श्रीवास्तव, शैलेश कुमार सैल, पूनम कतरियार, ऋचा वर्मा, संतोष मालवीय, इंदु उपाध्याय, अपूर्व कुमार, मुरारी मधुकर, जयंत, मीरा सिंह मीरा, पुष्पा जमुआर, पुष्पा पांडेय, सुनीता श्रीवास्तव ‘जागृति’, राकेश नमित, प्रभात कुमार धवन, नरेश कुमार आस्था, राज प्रिया रानी और पी.के. पांडेय।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रभारी डॉ. अनुज प्रभात ने कहा कि नए और पुराने रचनाकारों को सक्रिय बनाने तथा उन्हें सृजनधर्मिता से जोड़ने में परिषद के अध्यक्ष एवं संयोजक सिद्धेश्वर जी सचमुच बधाई के पात्र हैं। (प्रस्तुति : बीना गुप्ता )

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