साहित्य

बदल जाते हैं लोग यहां

डॉ संजीदा खानम शाहीन

बदल जाते हैं लोग यहां

बदल जाते है लोग यहां सच ही है
मेरे मन के उदगार, विचार उपहार है
इस मतलबी दुनिया में सब मतलब की
मनुहार है, धोखा फरेब ही अंजाम है।
लोगों की फितरत का उदाहरण है
अपना काम करवाकर पीछे हट जाते
और जब बारी आए स्वयं काम करने
की तो बस कोशिश होती है काम नहीं
बदल जाते है लोग यही सच है ।
बदल जाते है लोग यहां ,हाथ से हाथ
पराया है काम हो जाना बड़ी मुश्किल
है ।जीवन आसान नहीं जीना पल
में माशा पल में तोला जीवन
रोलरकोस्टर हो चुका, चल गया तो
मजा वरना सजा ही सजा ।
जीवन की चुनौतियों में अपनो की
खुशी और अपनापन पाना जैसे
किताबी पन्नो तक सीमित हो चुका
बदल जाते हैं है लोग यही सच्चाई
सच को आंच नहीं ठीक मुहावरा हैं।
इसी कशमकश में जीवन का आगे
बढ़ते जाना उम्र का बढ़ना लम्हों का
घटते जाना ।

डॉ संजीदा खानम शाहीन जोधपुर राजस्थान

 

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