उत्तराखंड

बी.डी.इ.का. भगवानपुर में हुआ ब्लॉक स्तरीय सत्रहवें संस्कृत महोत्सव के वरिष्ठ वर्ग की छः स्पर्धाओं का आयोजन 

समापन समारोह में समस्त विजेताओं को धनराशि स्वरूप पुरस्कार तथा प्रमाणपत्र किये गये वितरित

वरिष्ठ वर्ग की नाटक एवं वाद-विवाद स्पर्धाओं बी.डी.इ.का. रहा प्रथम, समूहगान एवं श्लोकोच्चारण में आर.एन.आई. प्रथम एवं आशुभाषण तथा समूहनृत्य में सी.एम.डी. प्रथम

भगवानपुर। उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित सप्तदश संस्कृत महोत्सव 2025 की वरिष्ठवर्गीय प्रतियोगिताओं का आयोजन दिनांक 15नवम्बर 2025 को बी.डी.इ.का. भगवानपुर में धूमधाम से किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ वन्दे मातरम् गीत तथा सरस्वतीवंदना, दीपप्रज्ज्वन के पश्चात् आशुभाषण, श्लोकोच्चारण, वादविवाद, नाटक, समूहनृत्य एवं समूहगान प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में समूहगान स्पर्धा में आर.एन.आई.इ.का प्रथम, बी.डी.इ.का. द्वितीय तथा सी.एम.डी.इ.का चुड़ियाला तृतीय रहे। संस्कृत नाटक स्पर्धा में बी.डी.इ.का. प्रथम तथा सी.एम.डी.इ.का. चुड़ियाला द्वितीय रहे। संस्कृत वाव-विवाद स्पर्धा में बी.डी.इ.का. भगवानपुर प्रथम तथा आर.एन.आई.इ.का. द्वितीय रहे। संस्कृत आशुभाषण स्पर्धा में सी.एम.डी. चुड़ियाला प्रथम तथा बी.डी.इ.का. द्वितीय रहे। संस्कृत श्लोकोच्चारण स्पर्धा में प्रथम आर.एन.आइ.इ.का तथा द्वितीय सी.एम.डी.इ.का. चुड़ियाला तथा बी.डी.इ.का. भगवानपुर रहे।

समस्त स्पर्धाओं के विजेताओं को पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र समापन सत्र में प्रदान किये गये। समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. वाजश्रवा आर्य सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा हरिद्वार तथा विशिष्ट अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त श्री डॉ. वासुदेव पन्त पूर्व प्रधानाचार्य बी.एस.एम.इ.का. रुड़की के करकमलों तथा बी.डी.इ.का. भगवानपुर के प्रधानाचार्य श्री संजय गर्ग एवं सारस्वत अतिथि श्री अरुण कुमार जी के करकमलों एवं समस्त उपस्थित निर्णायकमण्डल द्वारा प्रदान किये।


मुख्यअतिथि डॉ. आर्य जी ने प्रतिस्पर्धियों को प्रतियोगिताओं के महत्त्व को बताते हुए कहा कि सीखने की, शिक्षा लेने की कोई समय सीमा, सीमा अथवा आयु सीमा नहीं होती। निरन्तर सीखते हुए आगे बढ़ते रहिये। विशिष्ट अतिथि श्री पंत जी ने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कारों की जननी है। इसे जितना अधिक हो ग्रहण कर संस्कारवान बनें। विशिष्ट अतिथि श्री पंत जी ने सम्पूर्ण शिवताण्डव स्तोत्र का भी उच्चारण किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री संजय गर्ग जी ने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि प्रतियोगिताओं का जीवन में बहुत महत्त्व है, इनसे छात्र-छात्रा का सर्वांगीण विकास होता है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए डॉ. विजय कुमार त्यागी ने जीवन में संस्कृत निष्ठा के महत्त्व को बताते हुए संस्कृत भाषा में जन्मदिन, वैवाहिक वार्षिकी एवं विभिन्न शुभकामनाओं से सम्बन्धित गीत के माध्यम से संस्कृत के प्रचार प्रसार में योगदान दिया तथा छात्र-छात्राओं को बताया कि भगवानपुर ब्लॉक के विद्यार्थी चार भाषाओं (संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू) को लिखना, पढ़ना और बोलना जानते हैं।
स्पर्धाओं की खण्ड संयोजक श्रीमती उर्वशी पंवार ने समस्त आयोजक मण्डल, आयोजन स्थल, मार्गदर्शक शिक्षक-शिक्षिकाओं तथा प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सूचना दी कि स्पर्धाओं में प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर आने वाले विजेता प्रतिभागी जनपद स्तर पर 21 व 22 नवम्बर को प्रतिभाग करेंगे। इस प्रकार खण्ड के लगभग 10 सक्रिय विद्यालयों ने प्रतिभाग करके तथा कुल लगभग 400 से अधिक दर्शकों ने इन स्पर्धाओं से आनन्द लाभ उठाया तथा संस्कृत को बढ़ावा देने एवं संस्कृत के प्रचार प्रसार में अपना योगदान दिया। कनिष्ठ वर्ग की समस्त स्पर्धाओं के समापन के उपरान्त विद्यालय प्रधानाचार्य श्री संजय गर्ग, निर्णायक मण्डल तथा खण्ड संयोजिका श्रीमती उर्वशी पंवार ने सभी विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र तथा यथानिर्धारित धनराशि प्रदान करके उत्साहवर्धन किया।
स्वागत समिति में श्री संजय पाल, रजत बहुखण्डी, श्री नेत्रपाल तथा सम्मानित दर्शकदीर्घा डॉ. अतुल चमोला, श्री अनुज मिश्र, श्री पुष्पराज चौहान, श्री रजनीश, श्रीमती पारुल देवी, श्रीमती, अनुदीप, पारुल शर्मा, अर्चनापाल, श्रीमती बबली, श्रीमती शालिनी, श्रीमती संगीता गुप्ता, कु. हिमांशी, कु. सारीन, श्रीमती निधि, कु. तन्नु, विनीता गुप्ता आदि दर्शक एवं मार्गदर्शक के रूप में उपस्थित रहे। 17वें संस्कृत समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

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