
बच्चों पर थे प्यार लुटाते,
सबसे अच्छे उनके नाते.
क्रांति दूत बने वो ऐसे,
चाचा-चाचा सभी बुलाते,
बोलो बच्चों कौन, बोलो बच्चों कौन?
बने देश के प्रथम प्रधान,
जग में हैं उनके गुणगान.
अग्रसोंच के धनी बने थे,
बढ़ा दिए भारत की शान.
बोलो बच्चों कौन, बोलो बच्चों कौन?
घर था जिनका इलाहाबाद,
गाँधी के बड़े दुलारे थे.
आराम हराम हीं नारा था,
जन -जन के वो प्यारे थे.
बोलो बच्चों कौन, बोलो बच्चों कौन?
आओ राज बताता हूँ,
परदे सभी उठाता हूँ.
नेहरू जी उनको कहते,
गीत उन्हीं के गाता हूँ.
समझे बच्चों कौन, समझे बच्चों कौन?
कवि डॉ प्रीतम कुमार झा
महुआ, वैशाली, बिहार




