डॉ रामशंकर चंचल झाबुआ की अद्भुत ताजा १२ वी अमेज़न कृति मसीहा छाई सोशल मीडिया पर हजारों बधाई विश्व पटल से

मध्यप्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े अंचल आदिवासी झाबुआ जिले के चर्चित महान साहित्य साधक डॉ रामशंकर चंचल झाबुआ की अद्भुत ताजा कृति आंचलिक उपन्यास मसीहा इंकलाब पब्लिकेशन मुंबई द्वारा प्रकाशित कृतियों में विश्व पटल पर दस्तक देती अमेज़न पर उपलब्ध कृति आज एक दिन में ही हजारों बधाई और शुभकामनाएं दी गई है और बहुत ही सराही गई है
देश के इतिहास में यह एक अद्भुत सुखद इतिहास है कि झाबुआ मध्य प्रदेश के आदिवासी पिछड़े अंचल में जन्मे डॉ रामशंकर चंचल एजे संपूर्ण भारत सहित विश्व पटल पर बेहद चर्चित नाम हैं जिन्हें लाखों पाठकों का सुखद स्नेह प्यार और आशीष प्राप्त है

उनकी अभी तक प्रकाशित इंकलाब पब्लिकेशन मुंबई द्वारा , रूप नहीं रूह है, अलाव, वो राम ही थे मेरा भीतर, झाबुआ की काली नेशनल अवार्ड फिल्म की कथा, मन होता है, राम जाने , अन्याय की डायरी, अद्भुत साहित्य साधक डॉ रामशंकर चंचल झाबुआ आदि कृतियां सम्पूर्ण विश्व में अद्भुत चर्चित हो चर्चा बना हुई है
धन्य धरा झाबुआ मध्य प्रदेश आदिवासी पिछड़े अंचल जहां जन्म होने डॉ रामशंकर चंचल झाबुआ आज सम्पूर्ण विश्व में अपनी पहचान के साथ झाबुआ मध्य प्रदेश को देश को गौरव प्रदान करने के साथ विश्व पटल पर हिन्दी भाषा को सतत् लेखन सृजन से सम्मन दे रहे है
सादगी और सहज सरल छवि मुस्कान के धनी डॉ रामशंकर चंचल जी की साहित्य साधना वंदनीय हैं ओर सदियों जिंदा रहते हुए युवा निर्माता के लिए वरदान है
प्रतिदिन सैकड़ों बधाई और शुभकामनाएं दी जाती थी है उन्हें उनकी ताजा करते मसीहा पर भी



