
कार्तिक मास पूनम तिथि को
देव दिवाली आती,
धूमधाम से वसुंधरा पर
खूब मनाई जाती।
शिवशंकर ने त्रिपुरासुर को
इसी दिवस था मारा,
असुर भयंकर था मायावी
देवों से ना हारा।
हर्षित होकर सभी देवगण
उतर धरा पर आये,
काशी नगरी गंगा तट पर
घी के दिये जलाये।
अवसान हुई दुराचारिता
थी जो एक बुराई,
मना दिवाली रहे देवता
जीत गई अच्छाई।
बहते जल या नदी किनारे
दीप जलाओ भाई,
देव दिवाली, देव दिवाली
देव दिवाली आई।
मुकेश कुमार दीक्षित ‘शिवांश’
चंदोसी, संभल, उ०प्र०
मो०- 8433013409



