
देव दिवाली आई, खुशियाँ जीवन में छाई,
गंगा तट पे दीप जले, लहरों ने मुस्काई।
काशी नगरी झूम उठी, आरती की धुन छाई,
हर मंदिर में ज्योति जली, भक्ति रंग समाई।
सज गए घाट सुनहरे, फूलों की बहार आई,
हर द्वार पे मंगल गान, भक्तों की टोली आई।
शंख बजे जब चारों ओर, गूंज उठी तरंगाई,
हर मन में हरष भरा, जग ने खुशियाँ पाई।
राम नाम की लौ जली, सच्ची प्रभु भक्ति आई,
हर दिल में दीप जले, अंधियारा दूर भागी।
नभ में तारे नाच उठे, चाँद ने मुस्कान बिखराई,
धरती ने ओढ़ी चूनर, रोशनी की परछाई।
देवता भी उतरे धरा पर, करने आराधना भाई,
हर प्राणी ने गाया गीत, प्रेम सुधा बरसाई।
देव दिवाली आई रे, खुशियाँ जीवन में छाई,
मन मंदिर में दीप जले, हर आत्मा प्रभु में समाई।
कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश




