साहित्य

धर्म ध्वजा लहराया

सुधीर श्रीवास्तव

पच्चीस नवंबर दो हजार पच्चीस का दिन
जब अयोध्याधाम में जन-जन के राम
प्रभु श्रीराम के भव्य-दिव्य मंदिर के शिखर पर
धर्म ध्वजा पूरी गरिमा से फहराया गया,
उस पल हर सनातनी का माथा
प्रभु श्रीराम के श्री चरणों में झुक गया,
सनातन धर्म का नव इतिहास रचन गया।
सदियों का सपना आज पूरा हो गया
जैसे फिर से रामराज्य धरा पर आ गया,
कल्पना के राम कहने वालों को काठ मार गया,
राम और राम मंदिर विरोधियों को
एक बार फिर सांप सूँघ गया।
सब कुछ सुव्यवस्थित ढंग से निपट गया,
रामराज्य के नये युग का श्री गणेश हो गया।
पांच सौ सालों का संघर्ष,
अनगिनत रामभक्तों का त्याग, बलिदान
सफलता की नई इबारत लिख गया।
इसका अहसास हम सबको भी हुआ
जब देश के प्रधान सेवक ने
ध्वजारोहण के बाद हाथ जोड़कर
लहराते ध्वज को पूरी श्रद्धा से नमन किया,
कंपकंपाते हाथों और उनके मुखमंडल पर
दिखी भावुकता और आत्मसंतोष से महसूस हुआ।
तब मेरे मन में एक अलग ही भाव आया
क्या मोदी जी को प्रधानमंत्री जनता ने बनाया
या ये है जन-जन के श्री राम की माया।
जो भी है, इस पर माथापच्ची बेकार है
ये समूचे सनातन धर्म का सौभाग्य है
जो सनातन के प्रतीक राममंदिर पर
आज फिर से धर्म ध्वजा तो लहराया,
जो सारी दुनिया को नजर आया
और हर प्राणी ने श्रद्धा से प्रभु श्रीराम को शीश झुकाया
विवाह पंचमी का उत्सव भी मनाया।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

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