
ग़ज़ल
हमारे नाम पे भी फ़ैसला लिख्खा हुआ है
ख़ुदा की कसम यारों सिलसिला लिख्खा हुआ है।।
जो करते हैं लगन मेहनत से ख़ुद काम यारों
ये भी क़िस्मत में जो होता वही लिख्खा हुआ है।।
वफ़ा के नाम पर धोखा बड़ा करते कहे क्या
बहुत मक्कार होते हैं यही लिख्खा हुआ है।।
हमारे भी कंधों पर तज़रबा लिख्खा हुआ है
तुम्हे क्या है सही में टूटना लिख्खा हुआ है।।
बगावत जो नहीं करते कभी मां बाप से भी
सदा अपने हुनर बाद ए सबा लिख्खा हुआ है।।
दिलो पर नज़र जो रखते वही देखो बुरे हैं
हथेली पर हमारा फ़ैसला लिख्खा हुआ है।।
कनक




