
कभी मीठा कभी तीखा चख रहा हूं,
पर थोड़ा गुस्सा तो प्यारा कर रहा हूं।
जिंदगी में नीला पिला जलवा कर रहा हूं,
जिंदा दिली है तो गुजारा कर रहा हूं।
गनीमत पीछा छोड़ दे तू अब मेरा
में अनाडी ठहरा डेरा दे रहा हूं।
कश्मकश ज़िन्दगी सहूँ कब तलक ।
ज़िन्दा रहने का अजूबा कर रहा हूँ
गीला सूखा गुजारा थोड़ा सहे कब तक।
पर चर्चा है’ शिवा’उजाला कर रहा हूं।
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शिवा सिहंल आबुरोड




