
सुकूँ ढूँढ़ती हूँ सदा प्यार में,
घुट रहा दम उदास संसार में।
घिरा रह गया साँस का दर्द वो,
भटकती पड़ी चाह दिलदार में।
चलन तेज़ है हादसों की यहाँ,
समझ भी ख़िलाफ़ इस बाज़ार में।
न पूछो यही राह कितनी कड़ी,
रहे फ़ासले बिछुड़ परिवार में।
जुदाई अँधेरी डगर भी अटल,
सुमन को न संभाल मझधार में।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार



