साहित्य

गरीब कर्मयोगी

शुभम तिवारी

शीर्षक – गरीब कर्मयोगी
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है
भिड़कर लड़कर राह पकड़कर, चलना अपने धाम है

दिव्य चक्षु है, दिव्य शक्ति है, है सामर्थ्य दैदीप्यमान
कर में राम, कर्म में कृष्ण, दीप्ति रक्ति है स्वाभिमान
प्रखर प्रयासों के बल पर, करना सर्वोत्तम काम है
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है

संघर्ष भरा यदि जीवन है, तो, कौन सी काया कोमल है
नया रक्त है भरा नसो में, ना हुई जवानी निर्बल है
मुठ्ठी बाँध लो देश के भैरव, वैभव परम अब धाम है
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है

जर्जर तन में, ह्रदय प्रखर है, दृढ उर में नव दीप जला है
विपदा आये, या आये पथ्थर, कर्मपथी यह वीर चला है
रचेगा विप्लव श्रम का संगम, यह अपना अभिराम है
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है

वंचित है पर विचलित कब है, संकल्प अग्नि समान है
पथरीली राहों पर भी अब, चरणों में अरुणिम गान है।
कर्मपथी का धर्म यही, चलना सतत आराम हैं
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है

तूफानों से क्या घबराना, इनका रहता आना जाना
उमड़े लहर रक्त नसों में, हर कायरता को कुचले जाना
कर्म तेरा है तेरी पूजा, संघर्ष तेरा वरदान हैं
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है

पथ कठिन पर, थकना कैसा, आत्मदीप से आलोक रचे। –
तम छाए चाहे जितना, इक, चिनगारी से दिकशक्ति बचे।
जो आगे बढ़े नमन उनको है, वे युग के अभिमान हैं
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है

ध्येय हर अपना हम पाएंगे, ध्येय हर अपना हम पाएंगे
श्रेष्ठ विशेष विभूति लाएंगे, श्रेष्ठ विशेष विभूति लाएंगे
संकल्प अटल साहस प्रबल, है, झुकना न अपना काम है
यदि प्राप्त हुई है हमें गरीबी, पराजित करना काम है
— शुभम तिवारी, दिल्ली

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