
वाह गुरू का खालसा , कहते नानक देव ।
सबकी सेवा कीजिए, अकाल तख्त को सेव ।।
सिक्ख पंथ सृजित किया , सनातन सेवा रक्ष ।
पंच ककार से कार पर , सब मिल लंगर भक्ष।।
ग्रहस्थ संत थे आप श्री, नानक देव मराज।
पंथ प्रकट कीन्हां तभी , रखी सनातन लाज।।
तलवंडी रावी निकट , आसन यह पाकिस्तान।
तीर्थ बना पावन अति , है हिन्दुस्तान महान।।
माता जी तृप्ता सरल , पिता कल्याणहि जान ।
वेदी कुल के क्षत्रिय ये , वंश बहादुर मान ।।
भार्या मिली सुलक्खनी , सरल साध्वी जान ।।
बाला लहना रामदास, और मरदाना थे शिष्य।
घूमा पूरे देश में , रहे संग देशाटन शिष्य ।।
कीरत कर फ़िर संगत का , दीन्हा सुंदर मंत्र।
लंगर में सब पाइये , परम प्रसादी स्वतंत्र।।
जगह जगह पर पहुंच कर , दिये आप उपदेश।
वाह गुरू का खालसा , करते नमन विशेष।।
डा राजेश तिवारी मक्खन
झांसी उ प्र



