हरिद्वार दिव्य गंगा पत्रिका के कार्तिक स्नान विशेषांक का हुआ ऑनलाइन लोकार्पण
गंगा सेवी सम्मान से अलंकृत हुए देशभर के रचनाकार
हरिद्वार। दिव्य गंगा सेवा मिशन द्वारा प्रकाशित “दिव्य गंगा पत्रिका” के कार्तिक स्नान विशेषांक का भव्य ऑनलाइन लोकार्पण समारोह श्रद्धा और गरिमा के साथ संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में देशभर से जुड़े साहित्यकारों, गंगा सेवियों और सांस्कृतिक प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संयोजक श्री केशव पाण्डेय मुख्य अतिथि रहे। जबकि अध्यक्षता राष्ट्रीय संरक्षक डाॅ.शिवेश्वर दत्त पाण्डेय ने की। विशिष्ट अतिथि के रुप में राष्ट्रीय संरक्षक नन्दलाल मणि त्रिपाठी, वरिष्ठ साहित्यकार डा. अनिल शर्मा ‘अनिल’, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ज्ञान प्रकाश उपाध्याय, तथा राष्ट्रीय संयोजक (पुरोहित प्रकोष्ठ) आचार्य धीरज द्विवेदी सम्मिलित हुए।
राष्ट्रीय संयोजक (साहित्य सांस्कृतिक प्रकोष्ठ) अतुल कुमार शर्मा ने कार्यक्रम का संयोजन और संचालन किया।
कार्यक्रम में पत्रिका में प्रकाशित रचनाकारों को “गंगा सेवी सम्मान” से अलंकृत किया गया।
सम्मानित रचनाकारों ने मां गंगा की निर्मलता, अविरलता और सांस्कृतिक चेतना के संदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया।
कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए दिव्य गंगा सेवा मिशन के राष्ट्रीय संयोजक केशव पाण्डेय ने कहा कि “दिव्य गंगा पत्रिका केवल एक साहित्यिक संकलन नहीं, बल्कि गंगा-भावना की साधना और सांस्कृतिक चेतना का दीपस्तंभ है। यह मंच शब्दों को साधना का स्वर देता है और साहित्य को सेवा का स्वरूप प्रदान करता है।
मां गंगा भारत की आत्मा हैं, उनकी निर्मलता और अविरलता की रक्षा हर भारतीय का सामूहिक धर्म है।
जब साहित्यकार और साधक गंगा के प्रति अपनी लेखनी समर्पित करते हैं, तब शब्द ‘आराधना’ बन जाते हैं।
यह विशेषांक गंगा संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में एक ऐतिहासिक योगदान है।”
राष्ट्रीय संरक्षक श्री नन्दलाल मणि त्रिपाठी ने कहा कि “गंगा हमारी सभ्यता की जननी हैं। उनके तटों से निकला साहित्य जीवन के सत्य और साधना का मार्ग दिखाता है। आज का यह आयोजन गंगा के सांस्कृतिक नवजागरण का प्रतीक है। मां गंगा की कृपा से यह भावधारा निरंतर प्रवाहित रहे।”
वरिष्ठ साहित्यकार डा. अनिल शर्मा ‘अनिल’ ने कहा कि “दिव्य गंगा पत्रिका ने साहित्य को लोक-जीवन से जोड़ा है। इसमें भक्ति और उत्तरदायित्व का अद्भुत संगम है।
जब साहित्य गंगा की तरह निर्मल होता है, तभी समाज भी पवित्र होता है। यह अंक भावनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टि से अमूल्य है।”
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ज्ञानप्रकाश उपाध्याय ने कहा कि “गंगा श्रद्धा की प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन की धारा हैं। हर भारतीय को गंगा की रक्षा के लिए जागरूक होना चाहिए।
साहित्य के माध्यम से यह संकल्प जन-जन तक पहुँचे। दिव्य गंगा पत्रिका इस दिशा में अत्यंत प्रेरक मंच है।”
राष्ट्रीय संयोजक (पुरोहित प्रकोष्ठ) धीरज द्विवेदी याज्ञिक ने कहा कि “गंगा की उपासना केवल स्नान या पूजन नहीं, एक जीवन-शैली है।
यदि हर व्यक्ति गंगा-भाव को जीवन में उतार ले, तो समाज स्वतः निर्मल हो जाएगा। कार्तिक स्नान आत्मशुद्धि का अवसर है। मां गंगा की सेवा ही सच्चा यज्ञ है।”
कार्यक्रम संयोजक श्री अतुल कुमार शर्मा ने कहा कि “दिव्य गंगा पत्रिका ने साहित्य को जन-चेतना का स्वर दिया है। हर अंक गंगा-जागरूकता का दीपक जलाता है। देशभर के रचनाकार इस पावन अभियान के वाहक बने हैं। गंगा-संवेदना ही हमारे लेखन का केंद्र और प्रेरणा है।”
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. शिवेश्वर दत्त पाण्डेय ने कहा कि “गंगा केवल जलधारा नहीं, यह भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है। गंगा के तटों ने वेद, उपनिषद् और महाकाव्य रचे हैं। गंगा की अविरलता में हमारी संस्कृति की निरंतरता है। हमें अपने कर्म, लेखन और जीवन से गंगा की महिमा को जीवित रखना है। गंगा-भक्ति ही राष्ट्र-भक्ति का सच्चा स्वरूप है।”
कार्यक्रम का समापन सामूहिक गंगा मंत्रोच्चारण
“गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधिं कुरु॥”
के साथ हुआ।
सम्मानित रचनाकारों में डॉक्टर अनिल शर्मा ‘अनिल’, राम शंकर सिंह, रामकिशोर वर्मा ,मुकेश कुमार दीक्षित ‘शिवांश’, आशा बिसारिया, पुष्पा जोशी प्राकाम्य, डॉ रश्मि वार्ष्णेय, डॉ पुष्पा सिंह, श्रीपाल शर्मा इदरीशपुरी डॉ प्रीति अग्रवाल, कुमारी ऋतंभरा, डॉ श्रीमती गीता मिश्रा गीत, भुलक्कड़ बनारसी, पूनम दीक्षित, डॉ विनय कुमार श्रीवास्तव, शिवकुमार चंदन, सुनीता जौहरी, गोविंद गुप्ता, कमलेश मुद्गल, स्नेहलता पाण्डेय, स्नेह, अनीता मंदिलवार सपना, डॉ विश्वंबरी भट्ट, अतुल कुमार, सिद्धार्थ गोरखपुरी , डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव, मीना जैन, सुधीर श्रीवास्तव, डॉ रजनी रंजन, डॉ गीता पाण्डेय अपराजिता, विद्याशंकर विद्यार्थी, आशी प्रतिभा, भावना ठाकर भावु, डॉ उदय राज मिश्र प्रमुख थे।




