जनसंँख्या का बढ़ रहा, है विपरीत दबाव।
पैर धरन की जगह नहिं,जलता घरों अलाव।।
जलता घरों अलाव, घरों की हालत बिगड़ी।
आपस में तकरार, लग रही पग-पग तिगड़ी।।
कहें बेधड़क बंधु , सभी जन-संँख्या रोको।
बिना वजह सरकार, यहांँ रोटी मत सेंको।।
भगवती बेधड़क
गोला खीरी


