साहित्य

इस जमाने से

कनक

इस जमाने से मुहब्बत को छुपाया हमने
उसके कदमों में अदाओं को उठाया हमने।।//१//

प्यार इतना ही किया था उससे मिल देखो
दिल मिला कर फिर उसको न भुलाया हमने।।//२//

आज भी यार खपा हैं हम आज़ाद हैं यारो
एक मुद्दत से कोई ख़्वाब न देखा हमने।।//३//

इक झलक जब ये मुलाक़ात न होती यारों
इश्क़ तुमसे जब से था तब समझा हमने।।//४//

तुम मिले तो फ़िक्र क्या है हमको अब कुछ भी
रात उल्फ़त को सजाया फ़िर पाया हमने।।//५//

कनक

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