आलेख

लघुलेख – एकल परिवार:उचित या अनुचित

सुधीर श्रीवास्तव

आज के बढ़ते भौतिक युग में एकल परिवारों का प्रचलन बढ़ गया है।जिसे। किसी भी रुप में उचित नहीं कहा जा सकता।क्योंकि एकल परिवार का दंश सबसे अधिक बुजुर्ग माता पिता को झेलना पड़ता है।बच्चे अपने बीबी बच्चों के साथ अलग ही मस्त हैं,जबकि माता पिता मजबूरी में अकेले उदासी और बेचारगी में एक एक दिन काट रहे हैं।उन्हें जब सहारे की जरूरत होती है,तब वे असहाय से हो जाते हैं।
फिर एकल परिवार का दंश ये भी है कि जहाँ छोटे बच्चे बाबा दादी के प्यार दुलार से वंचित हो जाते हैं,वहीं उनमें बाबा दादी या अन्य पारिवारिक सदस्यों के प्रति लगाव भी नहीं हो पाता।दूसरे बुजुर्ग छोटे बच्चों के प्रति अधिक स्नेह दुलार रखते हैं,जिससे वे वंचित हो जाते हैं।
यही नहीं पारिवारिक संस्कार, मर्यादा, प्रेमभाव, अपनापन संवेदनशील ता का क्षरण भी एकल परिवार के कारण है।फिर एकल परिवार का सबसे बड़ा दु:ख ये है कि किसी विपरीत हालात में कोई सहारा, संबल भी नहीं देने वाला होता।
एकल परिवारों की वजह से सगे संबंधियों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं।पहले के समय में शादी ब्याह के कार्यक्रम सगे संबंधियों की उपस्थिति से बहुत आसानी से निपट जाता था।दु:ख तकलीफ में परिवार के अन्य सदस्यों के अलावा सगे संबंधियों द्वारा दिया जाने वाला संबंल बहुत ही सहायक होता था।
संयुक्त परिवार का एक बड़ा फायदा यह था कि कम या ज्यादा कमाने की स्थिति में भी परेशान कम ही होना पड़ता था।बुजुर्गों का साथ वटवृक्ष की तरह साये के मानिंद होता था।जिससे सामाजिक प्रतिष्ठा भी बनी रहती थी।किसी अन्य के द्वारा गलत व्यवहार करने की भी संभावना कम ही होती थी।
एकल परिवारों का एक कष्ट और है समयाभाव।जिससे लोगों के पास घुलने मिलने का समय ही नहीं रह गया।
संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि एकल परिवार के कारण ही अब लोग अगल बगल वाले के बारे में भी अंजान रहने लगे हैं।किसी कार्यक्रम में अगल बगल वाले की भागीदारी भी न के बराबर है।क्षमा याचना के साथ कहना पडः रहा कि एक दु:खद पहलू यह भी है कि पड़ोसी के यहां किसी की मौत की हमें खबर तक नहीं होती।हालत अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में अर्थी उठाने के लिए भी मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़े तो कोई अचरज नहीं होगा।
अंततः यही कहा जा सकता है कि एकल परिवार की अवधारणा को किसी भी रुप में उचित कहना अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

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