
मैं अकेला हूं नहीं है आसरा मेरे लिए
कैसे करता फ़ैसला में बेवफ़ा मेरे लिए।।
जल रहा हूं मैं सजा बाज़ार देखा अब यहां
राख है सब दिल जुदा है फासला मेरे लिए।।
लोग करते हर तरफ बाते यहां पर दे शिला
एक मुद्दत हौंसला था दायरा मेरे लिए।।
आगे बढ़ता जिन्दगी में रौशनी ले कुछ नहीं
रात तन्हा मेरी यादें दोगुना मेरे लिए।।
जिन्दगी में कुछ तलाशा काफिया दूर है
ग़ज़ल लिखता कैसे यारों मस अला मेरे लिए।।
चलता हूं मैं ही अकेला कोई साथी भी नहीं
जब नहीं होता कहीं भी आसरा मेरे लिए।।
हौसला रख जी हमेशा दायरा बन कनक अब
रास्ता बाहर नहीं है फ़ैसला मेरे लिए।।
कनक



