
मंदिर शिखर गगन चढ़ चूमे,मंगल अवसर है आया।
रामलाल मंदिर में देखो,धर्म ध्वजा है लहराया।।
त्याग वीरता का प्रतीक यह,केसरिया है रंग लिए।
सनातनी का मान सदा यह,अनुपम आभा ढंग लिए।।
आज अवध के द्वार द्वार पर,खुशियों से गाना गाया।
रामलाल मंदिर में देखो,धर्म ध्वजा है लहराया।१।
दंड ध्वजा पर स्वर्ण मढ़ा है,जन समूह गर्वित होते।
त्रेता जैसा युग है आया,दिनकर भी
हर्षित होते।।
संत मुनिगण जैसे देखो,केसरिया गण बनवाया।
रामलाल मंदिर में देखो,धर्म ध्वजा है लहराया।२।
सूर्य ओम व कोविदार से,चिन्ह सुशोभित होते हैं।
लगता रघुकुल ध्वज लौटा है,आभा शोभित होते हैं।।
अवधपुरी के धरा धाम पर,फिर तोरण है सज पाया।
रामलाल मंदिर में देखो,धर्म ध्वजा है लहराया।३।
आने वाली सदियां देखें,वैभव के प्रतिमान को।
सप्तपुरी में प्रथम अवध है,देख रहे भगवान को।।
सरयू तट सुंदर मंदिर में,नाना मूरत बनवाया।
रामलाल मंदिर में देखो,धर्म ध्वजा है लहराया।४।
डाॅ.राजेश श्रीवास्तव राज




