
तुम तिमिर मिटाने आई हो
ज्योति का उजियारा लेकर
करुणा का तुम स्त्रोत हो
अन्याय पंथ को हरती हो
रक्तबीज का धमंड तोड़े
पल में नाश करे
मेरी माँ शक्ति रूप आई हो।
साहस का दीप जलाती हो
भयभीत जनों के हृदय में
आस ज्योति जगाती हो
सिंह सवारी दिखाती हो
माँ तेरे पूजन से हर दिन
पाक उमंग रहे
मेरी माँ शक्ति रूप आई हो।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार




