साहित्य

मतदान

चन्द्रगुप्त प्रसाद वर्मा"अकिंचन"

हुआ है राष्ट्र पर्व आह्वान-मतदान करो,मतदान करो,
लोकतन्त्र के सजग हो प्रहरी,अधि-कर्म सम्मान करो।
शासनतन्त्र हो जनकल्याणी,वो तांत्रिक अवधान करो,
बनो विवेकी मत के अपने यूँही “मत” मत दान करो।।
तुम्ही राष्ट्र निर्माता हो,नवभारत के भाग्य विधाता हो,
परतंत्री अवगुँठन से मुक्त हो चुके,स्वतंत्री निर्माता हो।
तन पर वस्त्र स्वदेशी हो, मरने पर कफन स्वदेशी हो,
अपनादेश हो अपना शासन,मन में भाव स्वदेशी हो।।
छद्मी मिलेंगे हरशूँ राहों में बनकर सपनों के सौदागर,
सब्जबाग फैलानेवाले हिय विष कुम्भी, मुखी सुधाकर।
सुखनिद्रा लेते रातों में,नलिनी को तजतें प्रातः मधुकर,
मिथ्या वादों के झांसे में फंसते भोले जन ही अक्सर।।
सत्ता सौंप रहे हो किसको,इसके तुम्हीअवलोचक हो,
एकलव्य क्या तुमको बनना,इसके तुम्हीं विवेचक हो।
भावनाओं के ना बनो प्रवाही, सच्चे पथ अवगाही हो,
राष्ट्रधर्म के सत्यस्नेही बनकर,सत्यधर्म अनुग्राही हो।।
✍️ चन्द्रगुप्त प्रसाद वर्मा”अकिंचन”
📞 चलभाष ९३०५९८८२५२

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