अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बोल ।
घर से चावल आटा गोल ।।
नित्य बिछाये नयका जाल ।
बोली भाषा बा अनमोल ।।
नाम लिखावा जा कालेज ।
कब ले रहबा तू बकलोल ।।
सुनत सुनत पाकल ई कान ।
कलुआ अब तू चिट्ठा खोल ।।
दम नाहीं बा अब विपक्ष में ।
पटना जा अब पीटा ढोल ।।
कवि सिद्धनाथ शर्मा * सिद्ध *




