साहित्य

राम सुगंध (हाइकु)

डाॅ सुमन मेहरोत्रा

वन की गंध,
मन में उठे कथा
राम सुगंध।

सरयू तीर
मौन बहे छंदों में —
राम विचार।

अंतर गुंथे,
सीता-राम ही गूँजें
भाव सिंधु से।

पर्ण कुटी में,
लेखनी तप में लीन —
शब्द यज्ञ में

ऋषि विचार,
कथा रमे श्वास में —
राम साकार।

धरा सुनती,
राम नाम की रेखा —
मन गुनती।

ऋषि की दृष्टि,
वन होता मंदिर —
राम की सृष्टि

करुणा झरे,
छंदों में अमृत-सा —
नाम उभरे।

नीरव बेला,
लेख बनें आराधन —
राम का खेला

डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

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