साहित्य

राष्ट्रीय प्रेस दिवस

डॉ. शिवेश्वर दत्त पाण्डेय

सच की लौ जलती रहे,
बस यही धड़कन चलती रहे,
कलम जहाँ निर्भीक खड़ी हो
लोकतंत्र की नब्ज़ वहीं पलती रहे।

शब्दों का यह विश्वसागर,
साहस की हर लहर कहती है,
झूठ की धुंध गहरी हो चाहे,
सचाई फिर भी रहती है।

पत्रकार केवल संवाद नहीं,
एक जागरण की आवाज़ है,
अन्याय के हर कोने में
उसकी कलम का ही प्रकाश है।

धमकियाँ हों, दबाव हों चाहे,
वह फिर भी सत्य उकेरता है,
जनता की पीड़ा, व्यथा और हक़
हर दिन कंधों पर ढोता है।

फेक खबरों के शोर में भी
वह तथ्य का दीप जलाता है,
सत्ता की कठोर दीवारों से
निर्भीक प्रश्न टकराता है।

यह उसका धर्म—यह उसका पथ,
निष्पक्षता उसका अभिषेक है,
प्रेस दिवस पर नमन उन सबको
जिनकी कलम आज भी एक संकल्प है।

चलो प्रण लें इस अवसर पर
सत्य की राह न छोड़े कोई,
लोकतंत्र की इस नींव को
कमज़ोर न करने पाए कोई।

कलम को सलाम, साहस को प्रणाम,
नैतिकता को शत-शत वंदन
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर
पत्रकारिता को मेरा सौम्य नमन।
डॉ. शिवेश्वर दत्त पाण्डेय
समूह सम्पादक
दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह

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