
महादेव पूजा करूँ मैं तुम्हारी।
तुम्हीं नाथ रक्षा करो गंगधारी॥
गले सोहता सर्प माला सुहाना।
महाकाल का भक्त हूँ मैं पुराना॥
सखा भी तुम्ही हो तुम्हीं नाथ मेरे।
तुम्हें पूजता नित्य संध्या सवेरे॥
बसे हो हमारे हिया में दुलारे।
करुँ प्रार्थना मैं तुम्हारे दुआरे॥
सहारा बनो प्रार्थना भी यही है।
सदा साथ दोगे भरोसा सही है॥
सदाचार हो नित्य मेरे जिया में।
न भूलूँ तुम्हे नाथ चाहूँ हिया में॥
डॉ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश




