साहित्य साधक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान राष्ट्रीय इकाई की मासिक गोष्ठी सम्पन्न

लखनऊ।साहित्य साधक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान लखनऊ की नवम्बर माह की काव्य गोष्ठी ठग्गु मिष्ठान भंडार प्रथम तल पानी टंकी चौराहा वाटर वर्क्स रोड ऐशबाग लखनऊ में धूमधाम से सम्पन्न हुई। नवम्बर माह की मासिक काव्यगोष्ठी में कवि राम अवतार “पंकज” को “गोस्वामी तुलसीदास साहित्य साधक सम्मान” एवं शायर राजेश “राज” को “मिर्जा ग़ालिब साहित्य साधक सम्मान” से सम्मानित किया गया। “पंकज” जी की अध्यक्षता, अज़्म गोण्डवी के मुख्य समागम एवं अरविंद झां के विशिष्ट समागम के साथ संस्था के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ० हिमांशु सक्सेना “अर्श लखनवी” की विशेष उपस्थिति के साथ माॅं वीणा पाणी के पूजन अर्चन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। समारोह का कुशल संचालन कवि विपुल मिश्रा ने किया।
कवि अनिल किशोर “निडर” द्वारा वाणी वंदना एवं कवि अरविन्द रस्तोगी द्वारा राष्ट्रीय वंदना के सुमधुर मोचन के साथ कार्य क्रम का प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में आमंत्रित सभी 30 उपस्थित कवि मनीषियों का अंग-वस्त्र शाल एवं माला सहित स्वागत उपरांत काव्य प्रस्तुतियों का आरंभ हुआ। जिसने प्रांगण में उपस्थित 50 से अधिक श्रोताओं का दिल जीत लिया। बार-बार गूंजती तालियों की गड़गड़ाहट ने कवियों के जोश को कई गुना बढ़ा दिया।
राजेश राज ने अपने शेरों में पढ़ा- बात टाले थे उनकी ख्वाब में हम तब से लूटे है ख्वाब आंखों के। एम अली मदहोश ने पढा- दूध भरी शीशी सी भोली-भाली गाय ही माॅं। मिस्टर अमेठवी ने कहा- क्या खूब राधा कृष्ण का मधुवन है मेरा मुल्क। मो० आजम कुरैशी बोले- जब मुझे ग़ैर बताता है तो दिल रोता है। टेकचंद ने कहा- मन नैनो की भाषा पढ़ लेता है। अरविन्द रस्तोगी ने पढ़ा- गठबंधन करने लगे, कौए उल्लू श्वान। अनिल किशोर निडर बोले- आतंकी को पकड़ कर निचोड़ो।तमाचा लखनवी ने तमाचा लगाती पंक्तियां पढी- मानवता ही मेरी मंजिल बस उसका नशा चढ़ा है। संचालक विपुल मिश्रा राम पर बोले- राम के दीवाने ऐसे बनते हो क्यूं नहीं। अरबिंदो झां ने पढ़ा- होंठ पर तिल है मेरे और उनके गाल पर बात कुछ यूं हुई हम तिल मिलाकर आ गए। अज्म गोंडवी साहब राधे-कृष्ण के पावन प्रेम के मधुर शेरों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिए।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा० हिमांशु सक्सेना अर्श लखनवी ने ज़िंदगी को परिभाषित करती ग़ज़ल — “क्या बिसातें-मुश्किलों की जो करें घायल हमें साथ हमदम का मिले पतवार है ये ज़िंदगी” पढ़ी। राम अवतार पंकज ने पढ़ा- तुलसी जैसा कवि नहीं मानस सरिस न ग्रन्थ।
के बद्रीनाथ, अमिता मिश्रा, डा० स्वाति पाण्डेय प्रीत, राजीव वर्मा वत्सल आदि सभी ने सुमधुर काव्य प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम के अंत कार्यक्रम संस्था की ओर से कार्यक्रम आयोजक बद्रीनाथ ने उपस्थित सभी कवि अथिति एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया ।
मीडिया प्रभारी – डा० स्वाति पाण्डेय प्रीत



