
ग़लत को सही साबित करना बहुत
मुश्किल नहीं है रह गया अब दोस्तो,
सही को सही साबित करना मुश्किल
बहुत ही हो गया मगर अब दोस्तो।
दौरे ज़माना ऐसा आ गया है जहाँ में,
इंसान की इंसानियत की नियति भी
जानी जाने लगी उसकी बदनियत से
सच की डगर काँटे बिछे बदस्तूर हैं।
दूसरा कितना ग़लत है इसका
अंदाज़ा हर कोई लगा लेता है,
खुद कितने ग़लत हैं हम अंदाज़ा
लगा पाना मुश्किल है ऐ दोस्तों।
बेहद सहज बात कि धोखा किसी
को भी देना ही धोखा नहीं होता है,
उसके साथ अपनापन का अभिनय
करना भी बड़ा धोखा होता है दोस्तो।
गलती करना और माफ़ी माँग लेना
गलती का सही सही उपचार नहीं है,
गलती मानकर गलती का सुधार ही
सही राह चलने का उपचार दोस्तो।
बुद्धिमानी कहती हैं जमाने में अरे ओ
रहने वालो, इंसान की इंसानियत को
सच्ची नियति के साथ पहचान लो
आदित्य जियो और जीने दो दोस्तो।
डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’, ‘विद्यावाचस्पति’
लखनऊ




