
बेदर्द,
होती सर्दी,
जाने सब।
सर्दी में,
शरद हवाएं,
ले जान।
बच्चों का,
रखो बचाव,
सर्दी में।
यें बात,
तुम जानों,
रख बचाव।
सर्दी नेक,
होती उत्कृष्ट,
कभी-कभी।
गरीब है,
या अमीर भी,
करें फिक्र।
आई सर्दी,
देख रजाई,
छुप जा।
ये सर्दी,
दिखाई न दे,
हो महसूस।
सुनील कुमार “खुराना”
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत




