यूपी

सरस्वती शिशु मन्दिर इण्टर कॉलेज, फतेहपुर (बाराबंकी) में गुरु तेग बहादुर जी का शहीद दिवस श्रद्धा व गरिमा के साथ सम्पन्न

फतेहपुर, बाराबंकी। सरस्वती शिशु मन्दिर इण्टर कॉलेज के सभागार में सिखों के नवें गुरु, महान त्यागमूर्ति गुरु तेग बहादुर जी के शहीद दिवस का आयोजन अत्यन्त श्रद्धा और भावपूर्ण वातावरण में किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में सिख समुदाय से मुख़्तार सिंह उर्फ मुखिया उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में स्थानीय गांधी फॉर्म के रंजीत सिंह और कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में राजीव नयन तिवारी विराजमान रहे।
मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं मधुर सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तत्पश्चात सभी अतिथियों एवं विद्यालय परिवार ने गुरु तेग बहादुर जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

विद्यालय के यशस्वी प्रधानाचार्य वीरेन्द्र कुमार वर्मा ने सभी अतिथियों का परिचय कराते हुए अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनका हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए कहा कि “यदि आज सनातन धर्म सुरक्षित है तो इसका श्रेय उन बलिदानी महापुरुषों को है जिन्होंने धर्म और देश को जीवन से ऊपर रखा। गुरु तेग बहादुर जी ने अत्याचार के सामने सिर झुका देने की बजाय अपना शीश देना स्वीकार किया, परन्तु धर्म नहीं छोड़ा।”
इसके उपरान्त विद्यालय के भैया–बहनों—जाह्नवी नाग, वैष्णवी, स्वाती, प्रतिभा सिंह, शुभी वर्मा, रजत, अंजली, वैष्णवी रस्तोगी, लक्ष्मी गुप्ता, प्रतीक सिंह, आदर्श वर्मा, अनन्या वर्मा, अथर्व विश्वकर्मा और महक वर्मा—ने गुरु साहिब के जीवन, आदर्शों और बलिदान पर अपने विचार एवं भावनाएँ व्यक्त कीं।
विशिष्ट अतिथि रंजीत सिंह ने कहा कि “आज समाज और देश को गुरु तेग बहादुर जैसे वीरों के त्याग से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।”
वहीं मुख्य अतिथि मुख़्तार सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा, “त्याग ही मनुष्य को महापुरुष बनाता है। सिख परम्परा के इतिहास में ऐसे अनगिनत बलिदान हैं। केवल 40 सिखों ने औरंगजेब की तीन लाख की सेना का सामना किया
—यह साहस, समर्पण और सेवा की अद्भुत मिसाल है। मुख्य अतिथि ने नवें गुरु तेग बहादुर सिंह जी और उनके प्रिय शिष्य भाई सती दास, मती दास और दयाला के त्याग पूर्ण बलिदान की विस्तार से व्याख्या की। ऐसा साहस और गौरव पूर्ण धर्मार्थ बलिदान की गौरव गाथा सुनकर वन्दना सभा में उपस्थित भैया बहनों की आँखें नम हो गईं। उन्होंने कहा आज हमें गुरु के बताए मार्ग पर चलकर धर्म और राष्ट्र की रक्षा करनी है।” हमारे लिए राष्ट्र और धर्म सर्वोपरि होना चाहिए।
कार्यक्रम अध्यक्ष राजीव नयन तिवारी ने कहा कि “गुरु तेग बहादुर का बलिदान सम्पूर्ण मानवता के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।”
कार्यक्रम का सफल सञ्चालन बहन जाह्नवी वर्मा ने किया, जबकि अन्त में वरिष्ठ आचार्य अनिल कुमार वर्मा ने सभी अतिथियों एवं उपस्थित जनों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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