टूटते घर का बताओ नज़ारा क्या होगा ।
जो न अपनों का हुआ वो हमारा क्या होगा ।।
जिस बशर के है नहीं हाथ में रोज़ी रोटी ।
वो बशर कैसे पिता मां का सहारा क्या होगा ।।
कवि सिद्धनाथ शर्मा * सिद्ध * 👌🙏
टूटते घर का बताओ नज़ारा क्या होगा ।
जो न अपनों का हुआ वो हमारा क्या होगा ।।
जिस बशर के है नहीं हाथ में रोज़ी रोटी ।
वो बशर कैसे पिता मां का सहारा क्या होगा ।।
कवि सिद्धनाथ शर्मा * सिद्ध * 👌🙏