उत्तराखंड

वाणी में अनुकूलता, स्नेह की कला से नारी को जोड़कर रखती है: कल्पना सैनी

‘सप्तशक्ति संगम मातृ सम्मेलन’ की श्रृंखला में आज तृतीय मातृ सम्मेलन पूर्ण हुआ

रुड़की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों की श्रृंखला में ‘विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान’ से संबद्ध विद्यालय ‘आनंद स्वरूप आर्य सरस्वती विद्या मंदिर’ रुड़की ,के केशव भवन सभागार में ‘सप्तशक्ति संगम मातृ सम्मेलन’ की श्रृंखला में आज तृतीय मातृ सम्मेलन पूर्ण हुआ।जिसमें उपस्थित मातृ शक्ति ने राष्ट्र, समाज में हो रहे निरंतर परिवर्तनों से मनुष्य जाति किस प्रकार प्रभावित हो रही हैं, के कारण व निवारणों का विस्तृत दिशा निर्देशन प्राप्त किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता माननीया सांसद राज्यसभा, हरिद्वार, डॉ श्रीमती कल्पना सैनी जी एवं निर्देशिका नवरचना पब्लिक स्कूल डॉ श्रीमती शालिनी पंत की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी श्रीमती रीमा बंसल जी ने की, कार्यक्रम संयोजिका डॉ श्रीमती भावना शर्मा जी ने उपस्थित मातृशक्ति को पर्यावरण एवं कुटुंब प्रबोधन विषय पर जानकारी दी एवं कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती ऋतु शर्मा ने किया।


सर्वप्रथम मातृशक्ति के द्वारा भारत माता एवं मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। छात्राओं ने “हम ही मातृशक्ति हैं हम ही आदि शक्ति हैं” गीत गायन किया।
कार्यक्रम में वक्ता सांसद कल्पना सैनी जी ने नारी की नौ शक्तियों का वर्णन करते हुए बताया कि बालिका की प्रथम गुरु उसकी मां होती है वही उसे पग पग पर सहयोग कर जीवन जीने की शिक्षा देती है। एक बालिका कैसे राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग कर सकती है इस विषय पर प्रकाश डाला। कल्पना जी ने बताया वाणी के माध्यम से परिवार को कैसे जोड़कर रखा जाता है वाणी में अनुकूलता, स्नेह की कला यदि नारी में होगी तो वह परिवार को जोड़कर रखेगी।
डॉ श्रीमती शालिनी पंत जी ने कुटुंब प्रबोधन विषय रखते हुए बताया कि ये बेटियां ही समाज को संभालेंगी, इन्हें कोख में मत मारो । भारतीय परिवार कल, आज और कल का समन्वय है इसलिए बच्चे, बड़े , बूढ़े सब साथ रहते हैं तो पारिवारिक एकता का संदेश भी मिलता है। शालिनी पंत जी ने अधिकार से पहले कर्तव्य की भावना को श्रेष्ठ मानते हुए अपना विषय रखा ।पर्यावरण की सुरक्षा के विषय में बताते हुए शालिनी पंत जी ने बताया कि पर्यावरण का विनाश हम सब का विनाश है इसका संरक्षण हम सभी का उत्तरदायित्व है। पर्यावरण यदि सुरक्षित रहेगा तो मनुष्य जाति की सुरक्षा हो सकेगी।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ श्रीमती भावना शर्मा जी ने बताया कि परिवार प्रबोधन के पांच आयामों पर आज समाज को काम करने की आवश्यकता है जो इस प्रकार है भवन ,भजन ,भाषा, भूषा, भोजन और भ्रमण ।
समाज एवं राष्ट्रहित में मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है इसी क्रम में ‘परिवार कुटुंब प्रबोधन’ विषय से संबंधित पांच महिलाओं को सम्मानित किया गया। जिसमें विमला शर्मा जी ,शीला देवी जी ,ललिता जी , राजबाला देवी जी, सुनीता पंवार जी सम्मिलित रही।
विद्यालय की संगीत आचार्या नेहा चड्डा एवं सोनू शाक्य के निर्देशन में सृष्टि, मानवी, काशवी, गौरिका, आराध्या आदि छात्राओं ने गीत प्रस्तुत । कार्यक्रम में भारती जी, नीला जी, सोनिया जी, अंजू जी, निशु जी आदि शिक्षिकाओं ने पूर्ण सहयोग दिया। साथ ही भूमिका, सोनाक्षी, अविका, आराध्या, श्रद्धा शर्मा आदि ने समाज की आदर्श महिलाओं डॉ आनंदीबाई जोशी, नीरजा भनोट, सुषमा स्वराज, मैरी कॉम, सुधा मूर्ति की भूमिका का मंचन किया तथा समाज को संदेश दिया कि किस प्रकार महिलाएं आगे बढ़ सकती हैं समाज में अपना स्थान प्राप्त कर सकती हैं।

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