साहित्य

फायकू

डाॅ.शिवेश्वर दत्त पाण्डेय

नन्हे बच्चों की ठिठुरन
हाथ मले धीरे
तुम्हारे लिए

लाल-लाल गाल चमकें
ठंडी हवा संग
तुम्हारे लिए

धूप में बैठें बच्चे
गुनगुनी सी गर्मी
तुम्हारे लिए

छोटे-छोटे ऊनी मोज़े
पैरों को ढकें
तुम्हारे लिए

माँ का नरम स्वेटर
सर्दी जो भगाए
तुम्हारे लिए

कप–कप काँपे होंठ
मुस्कान फिर भी
तुम्हारे लिए

धुँधली-धुँधली सी सुबह
स्कूल की घंटी
तुम्हारे लिए

कम्बल में छुप जाते
नींद देती थपकी
तुम्हारे लिए

नन्हे हाथों की ठंडक
दूध की गर्मी
तुम्हारे लिए

बाग में भागें बच्चे
धूप पकड़े सब
तुम्हारे लिए

छोटी-छोटी गोल टोपी
सिर पर डोले
तुम्हारे लिए

सर्द हवा की सरसर
जैसे दौड़ें मुस्काते
तुम्हारे लिए

ओस भरी पगडंडी पर
कदम डगमग से
तुम्हारे लिए

धूप खिड़की पर उतरे
चेहरे सबके चमकें
तुम्हारे लिए

रुई जैसा बादल देखो
आसमान पर तैरे
तुम्हारे लिए

कक्षा में ठंडी कुर्सी
बच्चे रहते सहमे
तुम्हारे लिए

अलाव की हल्की आँच
हाथ सेंकते साथ
तुम्हारे लिए

खेल-खेले जो सर्दी
गाल गुलाबी हुए
तुम्हारे लिए

गुनगुना जो सूप पिएँ
मन गरम-गरम
तुम्हारे लिए

दिन छोटे-छोटे लगें
मस्ती बढ़ जाए
तुम्हारे लिए

डाॅ.शिवेश्वर दत्त पाण्डेय

समूह सम्पादक

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