*गीता जयंती*
(स्वरचित काव्य-रचना)
*पद १*
मार्गशीर्ष की एकादशी, पर्व पावन महान,
ज्ञान दीप जलाने वाला, जीवन को दे ध्यान।
कुरुक्षेत्र की धरती पर, हुआ सत्य का उदय,
गीता वाणी अमर हुई, मिटा अज्ञान का भय।
*पद २*
अर्जुन खड़ा संशय में, मन था व्याकुल, मौन,
धर्म-अधर्म के संदेह से, हिला हुआ था प्राण।
तब मधुर वचन कहे कृष्ण ने, सत्य का दिया प्रकाश,
जीवन का मर्म समझाकर, दिखाया धर्म-विकास।
*पद ३*
कर्म और कर्तव्य का, यह अनुपम उपदेश,
भक्ति, ज्ञान और योग का, गूढ़ अमृत संदेश।
जो समझे इसका रहस्य, मन पाए विश्राम,
जीवन-युद्ध में दृढ़ बने, पाए सत्य का धाम।
*पद ४*
नहीं केवल शास्त्र यह, आत्मा का है श्वास,
हर शंका का नाश करे, बनाए जीवन खास।
सुख-दुख, राग-द्वेष में, जो स्थिर रहना सीखे,
वही सच्चा योगी बन, परम सत्य को दीखे।
*पद ५*
अज्ञान रात मिटाने को, यह ज्ञान सूर्य समान,
हर युग में इसका महत्व, अमिट, अद्भुत, महान।
मानव को धर्म सिखाए, कर्तव्य-पथ पर चले,
मन में साहस, हृदय में स्नेह, सत्य की राह तले।
*पद ६*
कर्म करो पर फल की चाह, मन से दूर रखो,
निःस्वार्थ भक्ति का जप कर, पवित्र भाव रखो।
नियति अपनी बदलेगी, जब भाव सच्चे होंगे,
जीवन में परम शांति के, मार्ग सभी खुलेंगे।
*पद ७*
ज्ञान की यह धारा पावन, निर्मल चंद्र समान,
मन को शीतल कर देती, मिटाती संशय-तान।
जो पढ़े, समझे और जिए, वही धन्य कहलाए,
अंतर्मन में भक्ति-दीप, सत्य से जुड़ जाए।
*पद ८*
इस दिन कृष्ण-उपदेश का, जग में हुआ प्रसार,
बिना भेद-भाव के देता, सबको सत्य उपहार।
धर्म नहीं केवल नियम, प्रेम और कर्तव्य है,
जीवन में समभाव रखो, यही गीता-तत्त्व है।
*पद ९*
इस कारण यह पर्व मनाते, श्रद्धा और ध्यान,
गीता जयंती कहती है — जागो मानव-ज्ञान।
ज्ञान और विवेक से जीवन, कर्ममय हो जाए,
और अंत में मुक्ति पाकर, आत्मा सत्य को पाए।
*पद १०*
आज का दिन स्मरण कराता, सत्य-अमर उपदेश,
जो चलता है गीता-पथ पर, वही सच्चा संदेश।
हे कृष्ण! कृपा करो ऐसी, मन में समभाव रहे,
गीता-ज्ञान ज्योति बनकर, जीवन में प्रकाश बहे।।
🙏✨🕉️
जय श्री कृष्ण
जय श्रीमद्भगवद्गीता
🕉️ *गीता जयंती की मंगलमय शुभकामनाएँ* 🕉️
✍️ योगेश गहतोड़ी “यश”
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