यूपी

जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट और दिव्य गंगा सेवा मिशन, हरिद्वार के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित

*यह साझेदारी शैक्षणिक लक्ष्य को और अधिक व्यापक बनाएगी:प्रो. शिशिर कुमार पाण्डेय *एमओयू दोनों के संयुक्त प्रयासों को नई ऊर्जा प्रदान करेगा:केशव पाण्डेय

चित्रकूट। जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट (उ.प्र.) और दिव्य गंगा सेवा मिशन, हरिद्वार (उत्तराखंड) के बीच शैक्षणिक, सांस्कृतिक, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सहयोग को सुदृढ़ करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण सहमतिपत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता विश्वविद्यालय के सभी छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए नए अवसर खोलने वाला सिद्ध होगा।

विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पांडेय, रजिस्ट्रार मधुरेन्द्र कुमार पर्वत तथा नोडल अधिकारी (MoU) डॉ. रजनीश कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए। वहीं दिव्य गंगा सेवा मिशन की ओर से केशव पांडेय (राष्ट्रीय संयोजक) और शिवेश्वर पांडेय (राष्ट्रीय समन्वयक) ने सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पांडेय ने कहा कि यह एमओयू हमारे विश्वविद्यालय के सभी छात्रों के लिए बहुआयामी विकास के नए द्वार खोलता है। दिव्य गंगा सेवा मिशन के साथ मिलकर हम शैक्षणिक, सांस्कृतिक और शोध के स्तर पर ऐसे कार्यक्रम प्रारंभ करेंगे जो विद्यार्थियों के कौशल, ज्ञान और व्यक्तित्व विकास को नई दिशा देंगे। यह साझेदारी हमारे शैक्षणिक लक्ष्य को और अधिक व्यापक बनाएगी।

दिव्य गंगा सेवा मिशन के राष्ट्रीय संयोजक केशव पांडेय ने इस अवसर पर कहा कि हमारा उद्देश्य शिक्षा, संस्कृति और समाजसेवा के क्षेत्रों में ऐसे ठोस कार्यक्रम विकसित करना है जो युवाओं को सशक्त और समर्थ बना सकें। यह एमओयू मिशन और विश्वविद्यालय दोनों के संयुक्त प्रयासों को नई ऊर्जा प्रदान करेगा। हम मिलकर छात्रों के लिए इंटर्नशिप, प्रशिक्षण, शोध एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के अनेक अवसर तैयार करेंगे। इस अवसर पर दिव्य गंगा सेवा मिशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष धनंजय मणि त्रिपाठी भी उपस्थित थे। एमओयू के के अनुसार दोनों संस्थाएँ निम्न क्षेत्रों में सहयोग करेंगी

छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों के संयुक्त शैक्षणिक भ्रमण, शोध परियोजनाएँ, इंटर्नशिप एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम। पुस्तकों, शोध प्रकाशनों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, शैक्षणिक सामग्री, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, व्याख्यान-प्रदर्शनियों, सम्मेलनों का आपसी आदान-प्रदान। विशिष्ट विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा विशेष व्याख्यान। पारस्परिक दायित्वों के अनुरूप संयुक्त शैक्षणिक, शोध एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ। शोध कार्यों हेतु आवश्यक सुविधाएँ और सहयोग उपलब्ध कराना। यह समझौता शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक विकास के क्षेत्र में संस्थागत सहयोग को नई दिशा प्रदान करेगा तथा छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए एक मजबूत आधारशिला सिद्ध होगा।

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